शुक्रवार, 30 दिसंबर 2011

आज फिर कुछ इस तरह तेरी याद आई,
जैसे वीराने में चुपके से बहार आ जाये...
जैसे गुलशन में चले बाद-ए-नसीम,
जैसे टूटे हुए दिल को करार आ जाये...

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