शुक्रवार, 25 सितंबर 2009

और मैं सोच रहा हूँ.......२

पैसे के लिए.... क्या संवेदन शून्य हो जाना सही है ? जिसे जितने ज़्यादा नियम-कानूनों की जानकारी है वो इसका इस्तेमाल ग़लत तरीके से दूसरों का शोषण करके पैसा बनाने में ही क्यों करता है?
जितने बड़े प्रोफेशनल ....... उतने ही बड़े शोषक।
किसी शायर ने ठीक ही कहा है ..... "आँख जो कुछ देखती है लबपे आ सकता नहीं, महवे-हैरत हूँ ये दुनिया क्या से क्या हो जायेगी"।

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