navneet dil se
Its straight from the heart.On the issues which touch my heart.
गुरुवार, 17 दिसंबर 2009
ye waqt
ये वक़्त भी कितना ज़ालिम है, इसे चाहूं तो ये मिलता नहीं,
जब मिलता है तो लिखने को मेरे पास में कोई ख़याल नहीं,
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