सोमवार, 7 दिसंबर 2009

muddat hui......

आज फिर तुमसे मिलने को दिल चाहता है,
मुद्दत हुई मुलाकातों को बीते, इन तनहाइयों में यूँही जीते जीते,
खामोशियों में इन अश्कों को पीते.....
इन उदासियों से रिहा चाहता है, आज फिर तुमसे मिलने..........

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