आज तेलंगाना राज्य के समर्थन में आन्दोलन फिर उग्र हो गया... सरदार पटेल ने
सन १९४७ में तीन सौ से ज्यादा रियासतों को एक सूत्र में पिरोकर भारत का निर्माण
किया था... लेकिन अब लगता है कि भारत के बिखराव में ही राजनीतिकों की
दिलचस्पी रह गयी है....झारखण्ड, छत्तीसगढ़, उत्तराँचल, और अब तेलंगाना.....
लिस्ट बढती ही जानी है. चौधरी अजित सिंह को हरित प्रदेश चाहिए ... मायावती
पश्चिमांचल और बुंदेलखंड की बात कर रही हैं तो दार्जिलिंग को गोरखालैंड चाहिए.
देखिये राजनीतिकों के स्वार्थ भारत के कितने टुकड़े करते हैं...?
यदि हर सांसद अपने क्षेत्र के विकास को आगे बढ़ाये और जनता की ज़रूरतों को ध्यान में
रखते हुए योजनाओं को क्रियान्वित करे तो भारत की अखंडता बनी रह सकती है......
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