जनसत्ता एक फ़रवरी अंक में शंकर शरण जी का उपरोक्त शीर्षक से लेख पड़ा.
सही कहा है......देश की अनेक समस्याओं का समाधान इस छोटे से सूत्र में है-
सही स्थान पर सही व्यक्ति...यह पात्रता का अमोघ सिद्धांत है. नियम, अधिकार,
धन, तकनीक आदि सब मनुष्य द्वारा चालित होते हैं. अपने आप में वे कुछ नहीं
होते. इसलिए किसी विषय पर मात्र कानून पर कानून बना देने से कोई अंतर नहीं पड़ता.
मानवीय तत्त्व को भुला कर हम समस्याओं का समाधान ढूंढते हैं. इसीलिए विफल होते हैं.
कोई उत्तरदायित्व देने से पहले पात्रता ना देखना ही समस्या का मूल है.
किसी भी नियुक्ति से पहले उम्मीदवार की चारित्रिक, मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक
क्षमताओं की जांच परख की जानी चाहिए. केवल औपचारिक योग्यता, डिग्री, कागज़
या सिफारिश से संतोष नहीं करना चाहिए.
देश की समस्याओं से निबटने के लिए नागरिक प्रशासन, शिक्षा, आंतरिक सुरक्षा,
विदेश नीति संचालन आदि के महत्वपूर्ण स्थानों पर हमेशा योग्य, चरित्रवान और
निर्भीक व्यक्तियों की नियुक्तिओं की परिपाटी बनानी होगी. अगर इसे टाला गया तो
समय के साथ सब कुछ ना केवल असुरक्षित ही रहेगा. पतन का कारण भी बनेगा.
अपने मित्र रविराज जी के शब्दों में कहें तो.... "गधों को जलेबियाँ मत खिलाओ."
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