गुरुवार, 11 फ़रवरी 2010

waqt mil jaye.....

वक़्त मिल जाये भी तो रचनात्मकता के लिए 
कल्पना कि उड़ान कहाँ मिलती है. एक तन्हाई 
कि तलाश बनी ही रहती है. अवरोध-व्यवधान
आते ही रहते हैं. फिर भी ये दिल कहाँ मानता 
है. आज वंदना गुप्ता जी का ब्लॉग पढने का 
अवसर मिला. रचनात्मकता के लिए कितना 
वक़्त निकाल लेती हैं आप. धन्य हैं आप.
फिर मिलेंगे आपके ब्लॉग पर.

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