शुक्रवार, 5 मार्च 2010

didar ki hasrat liye........

जिंदगी यूँ तो पल-पल सरकती जाती है,
तेरी यादों के पल ही क्यूं  ठहर  जाते हैं,
अब तो होठों से नगमे भी यार रुसवा हैं,
तेरी जुदाई में इक आस फिर जगाते हैं.
आ के अब फिर से दे दीदार इक बार,
वरना यादों की महफ़िल फिर सजाते हैं. 

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